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Thursday, January 3, 2013

सेलेब्रिटी होने की ज़िम्मेदारी



सेलेब्रिटी होने की ज़िम्मेदारी 






दिल्ली में हुई बलात्कार की घटना ने आम-जनमानस  को भी झकझोर के रख दिया। आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ और चल रहा है। अच्छी  बात ये है की एक बहस शुरू हुई है, और होती रहनी चाहिए।
हमारे फ़िल्मी सितारे भी आवाज़ उठाने में पीछे नहीं रहे। फिर चाहे दोषियों को सज़ा दिलवाना, कानून में बदलाव, सरकार की भूमिका और पुलिस के रवैय्ये हर बात पर बात। खूब बात।
लेकिन फ़िल्मी सितारों को सबसे पहले अपने हिस्से के काम को अंजाम देना चाहिए। और वो है फिल्मों में महिलाओं की स्थिति। भारत में महिलाओं के माजूदा बर्ताव को सही मनवाने के सबसे ज्यादा क्रेडिट फिल्मों को ही मिलवाना चाहिए।
आदर्श भारतीय नारी की तथाकथित परिभाषा आम जनता तक फिल्मों ने ही पहुंचाई है।
औरतों को भोग की वस्तु की तरह परोसे जाने में आला दर्जे की अभिनेत्रियों का भी हाँथ है। आखिरकार कौन सी मजबूरी करीना कपूर और कटरीना कैफ को आईटम नंबर करवाता है। हालत ये है की जिस वक़्त लोग कैंडल लिए सड़कों पर घूम रहे है, सलमान साहब दोषियों को फांसी की वकालत कर रहे हैं वही दबंग में वो मिस काल से "लौंडिया  पटाने" की बहादुरी दिखा रहे हैं। हनी सिंह खुल्लम खुल्ला समाज की शालीनता के साथ बलात्कार कर रहे हैं।
अमिताभ बच्चन काफी आहत हैं। पुलिस पर ऊंगली उठाने वाले अमिताभ ने खुद पुलिस बन कर क्या नसीहत दी ये हम देख सकते है। देखे अमिताभ साहब अपने इस प्रवचन पर दूसरी लाइन क्या कहते हैं।
पहली लाइन :- हम तो निर्देशक के हाँथ की कठपुतली हैं।

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