बोल बच्चन (1.5 Star)
क्युकी आप अपनी रोज़ाना जिंदगी से परेशान
हैं इसलिए आप सिनेमा का टिकट खरीद कर कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जिसमे आप को सिर्फ
हँसने को मिले और दिमाग ना खर्चना पड़े। तो साहब ये वजह है आज कल फिल्मों में किये जा रहे बोल बचन
का। ऐसे ही बोल बचन
करती हुई इस फिल्म का नाम है बोल बच्चन।
अब्बास अली (अभिषेक बच्चन) दिल्ली से अपनी बहन सानिया
(आसिन) के साथ पृथ्वीराज (अजय देवगन) के गाँव पहुंचता है। अब्बास को
पृथ्वीराज के घर नौकरी मिलती है लेकिन इसके पहले अब्बास ने एक झूठ बोला है कि उसका
नाम अभिषेक बच्चन है, और अब अब्बास को सच छुपा कर रखना है। अब देखना ये है की झूठ कब तक चलेगा और
बच्चन कब बोलेगा।
रोहित शेट्टी को लगता है तीन गोलमाल बनाने के बाद याद आया
कि एक गोलमाल (अमोल पालेकर अभिनीत) और भी है और इस फिल्म में “रोहित शेट्टी एलीमेंट्स” डाल के सफलता पक्की की जा सकती है। और रोहित सही भी साबित हो रहे हैं।
लेकिन फिल्म की तारीफ़ में दो बाते कही जा सकती है वो ये कि
एक समलैंगिग पात्र कि उपस्थिति में भी अश्लीलता से बचने की कोशिश कि गयी है (जैसा की आमतौर पर होता नहीं है ) और
फिल्म आपको कुछ जगहों पर हंसाती हैं।
लेकिन जो ध्यान देने योग्य बात है वो ये कि अगर दोनों
फिल्मो (नयी और अमोल पालेकर अभिनीत) के पात्रों की तुलना की जाए तो हमें अहसास होगा
कि हमारे फिल्मों में लेखन (खासकर कामेडी) का स्तर कितना नीचे पहुँच गया है।
हिमेश रेशमिया का संगीत कही भी फिल्म के स्तर से ऊपर जाने
का प्रयास नहीं करता। हाँ बोल बच्चन कि शुरुआत बड़े बच्चन के बोल से होती है,
इसलिए ये गाना दर्शनीय है।
बच्चनों के बीच फिल्म में बोला अजय देवगन ने ही है, उनके
द्वारा बोली गयी अंग्रेज़ी में कुछ हास्य है। अभिषेक बच्चन को बहुत कुछ करने के लिए
मिला था लेकिन उन्होंने उतना ही किया जितना वो कर सकते थे। टीवी से स्टैंड-अप कमीडियन कि तरह शुरुआत
करने वाले कृष्णा को फिल्मों में और काम मिल सकता है।
अरे हाँ फिल्म में आसिन और प्राची देसाई के हिस्से में भी
कुछ है।
ये फिल्म भी एक नए खुले क्लब (१०० करोड क्लब) कि सदस्य होने
जा रही है, समझना ये है कि क्या ये फिल्मे उतनी पसंद की जाती है जितना ये पैसा
कमाती है या फिर ये सब वही “वीकेंड बिज़नेस" का तिकड़म है।
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