राजेश सुपर स्टार खन्ना
शुरूआती दिनों में मुझे राजेश खन्ना से कभी कोई लगाव नहीं रहा क्युकी जब-जब मेरी माँ राजेश खन्ना के स्टारडम की विश्वास ना करने वाली बातें बताती, वो मुझे ना जाने क्यु अमिताभ बच्चन के खिलाफ लगती और किसी को भी ना पसंद करने के लिए ये वजह काफी थी। आज राजेश खन्ना के प्रति दीवानगी की कहानियाँ रोज सुनने और पढ़ने को मिल रही हैं और अभी और भी आएँगी। बॉक्स-आफिस कि सफलता और चाहने वालो के हिसाब से देखा जाए तो हिंदी सिनेमा ने अपना सबसे बड़ा सितारा खो दिया है।
राजेश खन्ना (असली नाम जतिन खन्ना) का जन्म 1942 में हुआ ठीक उसी साल जब अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र भी पैदा हुए। जतिन को जन्म देने वाले माता-पिता अविभाजित पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब से 1940 में अमृतसर आये, उसके बाद राजेश का पालन पोषण हुआ उन्हें गोद लेने वाले माता पिता चुन्नी लाल खन्ना और लीलावती के यहाँ। पुणे से कॉलेज करने के बाद राजेश खन्ना ने बॉम्बे का रुख किया। राजेश नाम उन्हें उनके अंकल ने दिया जब वे फिल्मों में अपनी किस्मत अजमाने के लिए महंगी स्पोर्ट्स कार में स्ट्रगल कर रहे थे। एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता में 10 हज़ार प्रतियोगियों के बीच विजेता बने राजेश को फिल्मों में पहला अवसर मिला चेतन आनंद कि फिल्म “आखिरी खत” से 1966 में जो उस वर्ष कि ऑस्कर अवार्ड्स के “बेस्ट फारेन लैंगवेज फिल्म” के लिए भारत कि एंट्री थी।
फिर साल १९७३ आया जहां से राजेश खन्ना का करिश्मा बॉक्स-ऑफिस पर डगमगाने लगा। अमिताभ बच्चन की जंजीर रिलीज़ हो चुकी थी और हवा का रुख बदल रहा था।
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1) राजेश खन्ना पहले अभिनेता थे जिनके लिए “सुपर स्टार” शब्द का प्रयोग हुआ।
शुरूआती दिनों में मुझे राजेश खन्ना से कभी कोई लगाव नहीं रहा क्युकी जब-जब मेरी माँ राजेश खन्ना के स्टारडम की विश्वास ना करने वाली बातें बताती, वो मुझे ना जाने क्यु अमिताभ बच्चन के खिलाफ लगती और किसी को भी ना पसंद करने के लिए ये वजह काफी थी। आज राजेश खन्ना के प्रति दीवानगी की कहानियाँ रोज सुनने और पढ़ने को मिल रही हैं और अभी और भी आएँगी। बॉक्स-आफिस कि सफलता और चाहने वालो के हिसाब से देखा जाए तो हिंदी सिनेमा ने अपना सबसे बड़ा सितारा खो दिया है।
राजेश खन्ना (असली नाम जतिन खन्ना) का जन्म 1942 में हुआ ठीक उसी साल जब अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र भी पैदा हुए। जतिन को जन्म देने वाले माता-पिता अविभाजित पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब से 1940 में अमृतसर आये, उसके बाद राजेश का पालन पोषण हुआ उन्हें गोद लेने वाले माता पिता चुन्नी लाल खन्ना और लीलावती के यहाँ। पुणे से कॉलेज करने के बाद राजेश खन्ना ने बॉम्बे का रुख किया। राजेश नाम उन्हें उनके अंकल ने दिया जब वे फिल्मों में अपनी किस्मत अजमाने के लिए महंगी स्पोर्ट्स कार में स्ट्रगल कर रहे थे। एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता में 10 हज़ार प्रतियोगियों के बीच विजेता बने राजेश को फिल्मों में पहला अवसर मिला चेतन आनंद कि फिल्म “आखिरी खत” से 1966 में जो उस वर्ष कि ऑस्कर अवार्ड्स के “बेस्ट फारेन लैंगवेज फिल्म” के लिए भारत कि एंट्री थी।
लेकिन 3 साल और 4 फिल्मों के बाद वो हुआ जो शायद राजेश खन्ना ने भी नहीं सोचा था..
अराधना (1969)...
और इसके बाद लगातार 15 हिट फिल्में ... हर फिल्म के साथ बॉक्स-ऑफिस के एक नए कीर्तिमान, कई अवार्ड्स के लिए नामांकन और कई अवार्ड्स। हाथी मेरे साथी (1971) ने बॉक्स-ऑफिस के पिछले सारे रेकॉर्ड्स तोड़ दिए। इसी फिल्म से सलीम-जावेद को पहला ब्रेक भी राजेश खन्ना ने ही दिलवाया। जावेद अख्तर के अनुसार एक दिन राजेश खन्ना सलीम के पास आये कहा कि “इस फिल्म के लिए निर्माता ने मुझे एक बड़ी राशि दी है जिससे मैं अपने खरीदे गए बंगले (आशीर्वाद) का बकाया पैसा भी चुका सकता हूँ लेकिन इस फिल्म कि स्क्रिप्ट मुझे पसंद नहीं। पैसा इतना है कि मैं फिल्म छोड़ नहीं सकता और स्क्रिप्ट ऐसी है कि मैं ये फिल्म कर नहीं सकता। इस फिल्म की स्क्रिप्ट में अगर आप कुछ फेर बदल कर इसे अच्छा बना दे तो मैं एक बड़े मेहनताने और क्रेडिट का वादा करता हूँ”। इसके बाद सलीम-जावेद की निकल पड़ी। इस फिल्म का बाद में तमिल में रीमेक हुआ जिसमे एम.जी. रामचंद्रन ने मुख्य: भूमिका अदा की।
अंदाज़ फिल्म में गाये गाने “जिंदगी एक सफर है सुहाना” (राजेश खन्ना सिर्फ इसी गाने के लिए अतिथि भूमिका थे) ने धूम मचाई और लोग इस गाने के बाद थियेटर छोड़ के निकल जाते थे।
इसके बाद आई “अमर प्रेम” (1972) जो आने वाली कई जेनेरशन को ये याद दिलाती रहेगी कि राजेश खन्ना को आंसुओं से नफरत थी।
फिर साल १९७३ आया जहां से राजेश खन्ना का करिश्मा बॉक्स-ऑफिस पर डगमगाने लगा। अमिताभ बच्चन की जंजीर रिलीज़ हो चुकी थी और हवा का रुख बदल रहा था।
लेकिन शायद राजेश खन्ना इस बदलाव को ना देख पा रहे थे और ना देखना चाहते थे।
आने वाले कुछ सालो में राजेश खन्ना अपनी पिटती फिल्मों को चलाने के लिए अजीब अजीब हथकंडे अपना रहे थे और दर्शकों का रुख एक्शन फिल्मों की तरफ हो रहा था। देश में लगी इमरजेंसी ने दर्शकों के पसंद को और बदल दिया। लेकिन ऐसा नहीं था कि अमिताभ बच्चन की आंधी ने रातो रात खेल बदल दिया। लेकिन जो करिश्मा 1969 से 1973 तक रहा शायद अब कायम नहीं था।
मनमोहन देसाई, यश चोपरा, रमेश सिप्पी और ऋषिकेश मुखर्जी की पहली पसंद अब राजेश खन्ना नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन हो चुके थे यहाँ तक कि शक्ति सामंता भी अमिताभ के साथ “ग्रेट गैम्बलर” बना रहे थे। हाथी मेरे साथी के लेखक सलीम-जावेद अमिताभ बच्चन के लिए लिख रहे थे।
राजेश खन्ना को किस्मत ने ना ऊंचाईयों में जाने का वक्त दिया और ना उस ऊंचाई से लौटने का। हालांकि उन पर असफलता को हैंडल ना कर पाने का आरोप लगा लेकिन ये बात वही कह सकते हैं जिन्होंने राजेश खन्ना को उस ऊँचाई पर देखा ना हो। राजेश खन्ना ने शोहरत का जो अंदाज़ देखा वही उनकी बदकिस्मती भी बन गया। गए वक्त को स्वीकारने में शायद इतना ही वक्त लगना था। राजेश खन्ना शुरू से ही एक संपन्न परिवार से थे इसलिए एक फिल्मस्टार के तौर पर कमाए गए पैसे भी उनको कोई संतोष नहीं पहुंचा सकते थे। उनको चाहिए था तो वही फैन्स... जो शायद उनसे छिन गए थे।
ये हिंदी फिल्मों की बदकिस्मती ही कही जायेगी की राजेश खन्ना के हैसियत का एक सितारा पिछले 20 सालों में (स्वर्ग 1990 के बाद) एक हद तक फिल्मों में सक्रिय होने के बाद भी अपने स्तर की एक भी फिल्म नहीं दे पाया। शायद ये उनकी भी काम के प्रति लापरवाही और समय के साथ समझौता ना करने की जिद भी रही हो, क्युकी राजेश खन्ना “चीनी कम” और “निशब्द” जैसी फिल्मों कि मांग कर रहे थे। पिछले कुछ सालों में उन्हें जब भी बोलते सुना गया उनका ये दर्द उनकी जबान से साफ़ सुना जा सकता था।
फिल्म सितारों के प्रति दीवानगी राजेश खन्ना के साथ खतम हुई
और अमिताभ बच्चन के दौर के बाद मानो मिट सी गयी है। हम खुशनसीब हैं की या हमने राजेश खन्ना के दौर को देखा है या उस दौर को देखने वालो को देखा है। कुछ बातें इन्टरनेट से नहीं समझी जा
सकेंगी।
राजेश खन्ना से सम्बंधित कुछ रोचक बातें:-
1) राजेश खन्ना पहले अभिनेता थे जिनके लिए “सुपर स्टार” शब्द का प्रयोग हुआ।
2) राजेश खन्ना का
अंजू महेन्द्रू से 7 साल अफेयर रहा।
3) डिम्पल कपाडिया से
उनकी शादी डिम्पल कि पहली फिल्म के रिलीज़ होने से 8 महीने पहले हुई।
4) राजेश खन्ना ने तीन
दशक में 100 से ज्यादा फिल्मे एकल अभिनेता के बतौर की और सिर्फ बीस फिल्मों में वे
अकेले अभिनेता नहीं थे।
5) राजेश खन्ना के पास
एक बड़ी संख्या “फीमेल-फैन्स” की थी। ऐसी चर्चा थी की लडकियां उनकी तस्वीर से
शादीयां करती थी, उनकी कार की धुल से अपनी मांग भरती थी। उनके पास खून से लिखे खत आते थे, और उनकी
शादी की खबर के बाद करीब-करीब 75 लड़कियों के आत्महत्या की खबर आयी।
6) "चिंगारी कोई भड़के" गाने को हावड़ा ब्रिज पर फिल्माने से इसलिए मना किया गया की, बात खुल जाने पर के राजेश खन्ना शूटिंग कर रहे हैं भीड़ इतनी आ सकती है की ब्रिज को ख़तरा हो सकता है।
6) "चिंगारी कोई भड़के" गाने को हावड़ा ब्रिज पर फिल्माने से इसलिए मना किया गया की, बात खुल जाने पर के राजेश खन्ना शूटिंग कर रहे हैं भीड़ इतनी आ सकती है की ब्रिज को ख़तरा हो सकता है।
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KAKA the Great.....kabhi koi aur aisaa nahi ho saktaa jaise KAKA hai.
ReplyDeletebilkul sahi kaha Naresh jee aapne
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